दुरुद शरीफ Home दुरुद शरीफ
अलहम्दु लिल्लाहि अला कुल्लि हालिवँ व सल्लालाहु अला अहलि बैतिही
जो शख्स छींक आने पर यह दुरुद पढेगा तो मिन जानिब अल्लाह एक परिंदा पैदा करेगा जो अर्श के निचे फड़ फड़आएगा और अल्लाह से अर्ज़ करेगा की इस दुरूद शरीफ के पड़ने वाले को बक्श दे
अल्ला हुम्मा सल्ली अला मुह्म्मदिव्व अला आले मुहम्मदिन कमा सल्लयता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहीमा इन्नका हमीदुम्मजीद० अला हुम्मा बारीक अला मुह्म्मदिव्व अला आले मुहम्मदिन कामा बारकता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहिमा इन्नका हमीदुम-मजीद०
हदीसे मुबारिका : जो मुझपर दुरुद पढना भूल गया वह जन्नत की राह भूल गया
अल्लाहुम सल्लि अला मुहम्मदिन फिल अर्वाहि व सल्लि अला ज स दि मुहम्मदिन फिल अज सादि व सल्लि अला कब्रि मुहम्मदिन फिल कुबूर
जो शख्स यह दुरूद शरीफ पढ़ेगा उसको ख्वाब में हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत नसीब होगी
अल्लाहुम सल्लि अला मुहम्मिद कुल्ल्मा ज़ क र हुज़ जाकिरू न कुल्लमा ग़ फ़ ल अन ज़िक रिहिल ग़ाफिलून
इमाम इस्माइल बिन इब्राहीम मुज्नी ने हजरत इमाम शाफ़अी को ख्वाब में देखा और पूछा अल्लाह पाक ने आपके साथ क्या मुआमला फरमाया ? तो उन्होंने जवाब दिया इस दुरूद शरीफ की बरकत से अल्लाह पाक ने मुझे बख्श दिया और इज्जत व एहितराम से जन्नत में ले जाने का हुक्म दिया
अल्लाहुम सल्लि अला मुहम्म्दिवँ व आलिही कमा ला निहा य त लि कमालि क व अ द द कमालिही दफ़ए निसयान के लिए यह दुरुद शरीफ मग़रिब और इशा के दरमियाँ जितना पढ़ सके पढ़े
इस दुरूद को पढने से जाईज़ मुराद पूरी होती है
अल्लाहुम सल्लि अला सय्यिदिना मुहम्मदिन नूरिल अनवारि व सिर्रिल असरारि व सय्यिदिल अबरारि
हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु से हदीस शरीफ नकल है कि तुम्हारा मुझ पर दुरुद पढना तुम्हारी दुआओ की हिफाजत करने वाला है और तुम्हारे रब की रज़ा का सबब है
अल्लाहुम्म रब्ब हाज़िहिद दअ वतित ताम मति वस्सला तिल का इ मति सल्लि अला मुहम्म्दिवँ वर्दा अन्हु रिदलला स ख़ त बअ दहु
जो शख्श अज़ान के वक़्त यह दुरूद शरीफ पढ़ेगा अल्लाह उसकी दुआ कुबूल फरमाएगा
अल्लाहुम्म सल्लि अलन नबिय्यिय मुहम्मदिन हत्ता ला यब्का मिन सलाति क राय उँव व बारिक अलन नाबीय्य मुहम्मदिन हत्ता ला यब्का मिन बर काति क राय उँव व अर हमिन नाबिय्यीय हत्ता ला य्ब्का मिर रह मति क राय उँव व् सल्लिम अलन नबिय्यिय मुहम्मदिन हत्ता ला य्ब्का मिन सला
हुज़ूर सल्लालाहू अलैही वसल्लम के इरशाद के मुताबिक इस दुरुद शरीफ के पढ़ने वाले का चेहरा पुल सिरात से गुज़रते वक़्त चाँद से ज्यादा चमकदार होगा
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन अफ दला स ल वाति क
इस दुरुद शरीफ के बारे में यह मन्कूल है की यह दस हज़ार 10000 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ने के बराबर है
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन अब्दी क व अला आलि मुह्म्मदिवँ व बारिक व सल्लिम
जो शख्स इस दुरुद शरीफ को पाबन्दी के साथ पढ़े वह जन्नत के ख़ास फल और मेवे खायेगा
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन कमा अ मर तना अन नुसल्लि य अलैहि व सल्लि अलैहि कमा यम्ब्गी अँय यु सल्ला अलैहि
हजरत अनस रदिअललाहु अन्ह ने प्यारे आक़ा सल्लालाहु अलैहि वसल्लम से एसा दुरुद शरीफ पूछा जिसको कामिल दुरुद शरीफ कहा जा सके तो आप ने ये दुरुद तलकीन फरमाई
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन कमा तुहिब्बु व तरदा लहु
एक रिवायत में कि जो शख्स यह दुरुद शरीफ एक मर्तबा पढता है 70 फ़रिश्ते एक हज़ार दिन तक उसके नमाए अमाल में नेकिया लिखते रहते है
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन निन नबिय्यिय उम्मिय्यित ताहिरीज ज़किय्यी सलातन तु हिल्लु बिहिल ओ क दु व तु फक्कु बि हल कु र बु
यह दुरुद शरीफ बार बार पढ़ने से अल्लाह परेशानियों को दूर फरमा देता है
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन निन नबीय्यिल उम्मिय्य्य अलेहिस सलाम
जुमे के दिन एक हज़ार मर्तबा यह दुरुद शरीफ पढ़ने वाले को मरने से पहले जन्नत में उसका ठिकाना दिखा दिया जाता है
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन सलातन तकू न ल क रिदवँ व लि हक्कीही अदा अन
जो शख्स नमाज़े फज्र के बाद और नमाज़े मग़रिब के बाद 33 – 33 बार यह दूरूद पढ़ेगा तो उस शख्स की कब्र और रोज़ए अक़दस के दरमियान एक खिड़की खोल दी जाएगी और रोजए अक़दस की जियारत उसको नसीब होगी
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदीन कमा हु व् अह लुहू व् मुसतहिक़ कुहू
जिस शख्स को कोई दुशवारी पेश होते वह तन्हाई में बा वजू यह दुरुद 1 एक मर्तबा पढ़े और 1000 एक हज़ार मर्तबा कलमाए तय्यिबा पढकर दिल से दुआ करे इंशाल्लाह दुशवारी दूर होगी
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्म्दिम बि अ द दि कुल्लि दा इवँ व दवा इवँ व बारिक व सल्लिम
हर दर्द और बीमारी दूर होने के लिए अव्वल व् आखिर दुरूद शरीफ पढ़े और दरमियान में बिस्मिल्लाह के साथ सुरः फातेहा पढ़कर दम करे
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्म्दिवँ व आलिही व असहा बिही बि अ द दि मा फी जमीअिल क़ुरआनि हरफन हरफवँ व बि अ द दि कुल्लि हरफिन आल्फन अल्फ़ा
तीन 3 मर्तबा सुबह और शाम यह दुरुद शरीफ पढ़ने से ज़बरदस्त कामयाबी मिलती है
अल्लाहुम्म सल्लि अला सय्यिदना व मौलाना मुहम्म दिन अ द द मा फी इल्मिल्लाहि सलातन दा ए म तम तम बि दवामि मुल्किल्लाह
शैखुद दलाइल ने हज़रत जलालुद्दीन सियूती से रिवायत की इस दुरूद शरीफ को एक बार पढ़ने से छ लाख ६००००० दुरूद शरीफ पढ़ने का सवाब हासिल होता
अल्लाहुम्म सल्लि अला सय्यिदल आलमी न हबीबि क मुहम्मदिवँ व आलिही सलातन अन त लहा अहलुँ व् बारिक व् सल्लिम कज़ा लिक
जो शख्स सुबह व शाम सात सात बार इस दुरूद शरीफ को पाबंदी से पढ़े तो इसकी बरकत से अल्लाह तआला उस की औलाद को बा इज्जत रखेगा
अल्लाहुम्म सल्लि अला सय्यिदिना मुहम्मदि निल लज़ी म ला त क़ल बहू मिन जलालि क व अय नयहि मिन जमालि क फ़ अस ब ह फ़ रि हम मसरूरम मु अय्ये दम मंसूरा
शेख अबू अब्दुल्लाह नोमान रहमतुल्लाह अलैहि को ख्वाब में सो 100 मर्तबा रसूले करीम सल्लललाहु अलैहि वसल्लम की जियारत हुई आखिरी मर्तबा में उन्होंने हुज़ूर से अफजल दुरुद शरीफ पुछा तो आप सल्लललाहु अलैहि वसल्लम ने यह दुरुद शरीफ तअलीम फरमाई
अल्लाहुम्म सल्लि व सल्लिम अला सय्यिदिना मुहम्म्दिवँ व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदिन फी कुल्लि लम हतिवँ व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदिन फी कुल्लि लम हतिवँ व नफ्सीम बि अ द दि कुल्लि मअलू मिल ल क
दुआ में जब तक नबिए अकरम सल्लालाहू अलेहि वसल्लम पर दुरुद न भेजेंगे तब तक दुआ ज़मीन व आसमान के दरमियान लटकी रहेगी
अल्लाहुम्म सल्लि व सल्लिम व बारिक अला सय्यिदिना मुहम्मदिन कद दाकत ही ल ती अदरिकनी या रसूलल्लाह
हुज़ूर सल्लललाहु अलैहि वसल्लम फरमाते है जो सख्श मेरे नाम के साथ सल्लललाहू अलैहि वसल्लम लिखता है जब तक उस किताब में मेरा नाम रहेगा फ़रिश्ते उसके लिए मगफिरत की दुआ करते रहेंगे
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मददिन अब्दी क व रसूलि कन नबीय्यिल उम्मीय्यिय
हुज़ूर सल्ललाहु अलेही वसल्लम के इरशाद के मुताबिक़ जो शख्स 80 मर्तबा यह दुरुद पढ़े अल्लाह उसके अस्सी साल के गुनाह माफ़ फरमा देगा
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदि निन नबीय्यि व अला आलिही व सल्लिम तस्लीमा
जुमे के दिन जहा नमाज़ असर पढ़ी हो उसी जगह उठने से पहले अस्सी 80 मर्तबा यह दुरुद शरीफ पढ़ने से अस्सी साल के गुनाह मुआफ होते है और अस्सी साल की इबादत का सवाब मिलता है
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदि निन नबीय्यि व अला आलिही व सल्लिम तस्लीमा
जुमे के दिन जहा नमाज़ असर पढ़ी हो उसी जगह उठने से पहले अस्सी 80 मर्तबा यह दुरुद शरीफ पढ़ने से अस्सी साल के गुनाह मुआफ होते है और अस्सी साल की इबादत का सवाब मिलता है
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन
जुहर की नमाज़ के बाद यह दुरुद शरीफ 100 सौ मर्तबा पढ़ने से तीन बाते हासिल होगी • कभी मकरूज़ ना होगा • अगर क़र्ज़ होगा तो अदा हो जायेगा
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन अब्दी क व रसुलि क व सल्लि अलल मुअमिनी न व मुअमिना ति वल मुस्लिमी न वल मुस्लिमात
जो शख्स अपनी माल और दौलत में इजाफा चाहता है वो इस दुरूद को रोजाना पढ़े
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन फी अव्वलि क्लामिना , अल्लाहुम्म सल्लि अला मुम्म्दिन फी औ स ति कलामिना अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन फी आखिरि कलामिना
शेखुल इस्लाम अबू अब्बास ने फ़रमाया जो शख्स दिन रात में तीन तीन मर्तबा यह दुरुद शरीफ पढ़े वह गोया रात व दिन के तमाम औकात में दुरुद भेजता रहा
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिम बि अ द दि कुल्लि ज़िक रिही अल फ़ अल्फ़ि मर रतिन
इस दुरूद शरीफ का पढना हुज़ूरे अकदस सल्ललाहू अलैहि व सल्लम पर सारे दुरुद भेजने के बराबर है
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्म्दिवँ व अन ज़िल हुल मक़ अ दल मु करे ब अिन द क यौमल किया मति
जो शख्स यह दुरुद पढ़ेगा उसको रासुल्ल्लालाह सल्लल्लाहु अलैहि व् सल्लम की शफाअत वाजिब होगी
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्म्दिवँ व अला अबीना इबराही म
हजरत सुफियान बिन उयेयना रहमतुल्लाही अलैह ने फरमाया मेने सत्तर साल से ज्यादा हज़राते ताबर्डन रेहमतउल्लाह को दौराने तवाफ़ यह दुरुद पढ़ते हुए सुना
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्म्दिवँ व अला आलि मुहम्मदिन
हुजुरे नबिये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा से एक मर्तबा तुम ना मुकम्मल दुरुद न पढ़ा करो फिर सहाबाएकिराम के पूछने पर आपने यह दुरुद शरीफ तअलीम फ़रमायी
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्म्दिवँ व अला आलि मुहम्मदिन सला तन दा इ म तम बि दवा मिक
जो शख्स पचास 50 मर्तबा दिन में और पचास मर्तबा रात में इस दुरुद को पढ़ेगा तो उसका ईमान जाने से महफूज़ रहेगा
अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यिदिना मुहम्मदिवँ व अला आलिही बि कदरी हुस्नही व जमालिही
हज़रत इमाम हसन बिन अली रादिय्लाहु अन्हुमा का इरशाद है कि जो शख्स किसी मुहीम या परेशानी या मुसीबत में हो तो इस दरूद शरीफ को एक हज़ार 1000 मर्तबा मुहब्बत और शौक से पढ़े और अल्लाह तआला उसकी मुसीबत टाल देगा और उसको उसकी मुराद में कामयाब कर देगा
अल्लाहुम्म्म सल्लि अला मुहम्मिन मिल अस्स्मा वाति व् मिल अल अरदि व मिल अल अर्शिल अज़ीम
इस दुरुद शरीफ के पढ़ने वाले को आसमान व ज़मीन भर कर और अर्शे अज़ीम के बराबर सवाब मिलता है
अल्ल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदि निन नाबिय्यिल उम्मियि व अला आलिहि व सल्लिम
जो शख्स जुमे के दिन एक हज़ार मर्तबा यह दुरुद शरीफ पढ़े उसको ख्वाब में रिसालते आप सल्लालाहु अलैहि वसल्लम की जियारत होगी 5 या 7 जुमे तक पाबंदी से इसको पढ़े
बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिन
हुज़ूर सल्लालाहु अलैहि वसल्लम जब मस्जिद में जाते या मस्जिद से निकलते तो ये दुरुद पढ़ा करते थे
व सल्लालाहु अ लन न्बिय्यीय मुह्म्मदिवँ व सल्लम
हजरत हसन रादिय्ल्लाहु अन्हु दुआए कुनूत के बाद यह दुरूद शरीफ पढ़ा करते थे
सल्लललाहु अला मुहम्म्दिवँ व जज़ाहु अन्ना मा हु व अहलुहू
जो शख्स यह दुरुद पढ़े तो सवाब लिखने वाले सत्तर फ़रिश्ते एक हज़ार दिन तक इसका सवाब लिखेंगे
सल्लालाहु अलन नाबिय्यिल उम्मीय्यि व आलिही सल्ललाहु अलैहि वसल्लम सलातवँ व सलामन अलै क या रसूलल्लाह
यह दुरूद शरीफ हर नमाज़ खुसुसन नमाज़े जुमा के बाद मदीना मुनव्वरा की तरफ मुह करके सौ 100 मर्तबा पढ़ने से बेशुमार फ़ज़ाएल व बरकात हासिल होते है
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