اللَّهُ لاَ إِلَهَ إِلاَّ هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لاَ تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلاَ نَوْمٌ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الأَرْضِ مَنْ ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِنْدَهُ إِلاَّ بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلاَ يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِنْ عِلْمِهِ إِلاَّ بِمَا شَاءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاواتِ وَالأَرْضَ وَلاَ يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ
हदीसों से यह बात पूरी तरह साबित है की नबी सल्ल० ने फरमाया है कि जो आदमी हर नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी शरीफ पढ़ा करे तो वह जन्नत में जायेगा और रात पढने वाले के पास शैतान कभी न आए और वह आदमी दुनिया की बलाओं से बचा रहे | अगर जुमे के दिन असर की नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी किसी भी अलग जगह पर पढ़े तो सारी हाजते पुरी हो जाए । आयतुल कुर्सी का पढ़ना अपना मामूल बना ले तो हमेशा राहत व कामयाबी से गुजरे । आयतुल कुर्सी यह है --
अल्ला हु ला इलाहा इल्लाहुवल हय्युल कय्यूम ला ताखुजुहू सिन – तुव्वला नवम0 लहू माफिस्समावाति व मा फिल अर्जी0 मन जल्ल्जी यश्फऊ इन्दहू इल्ला बिइजनिही0 या अलमु मा बयना अयदी हिम वमा खल फहुम वला युहीतूना बिशयइन मिन अिलमिहि इल्ला बिमा शा आ वसिआ कुर सिय्यु हुस्समावाति वल अर्जा वला यऊदुहू हिफ्जुहुमा व हुवल अलीयुल - अजीम0
तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोइ इबादत के कोई योग्य नही वह जिन्दा है सम्भालने वाला न उसे ऊंघ आती है न नींद । जो कुछ जमीन और आसमान के बीच है कौन है जो उसके पास सिफारिश कर सके उसकी इजाजत के बिना । वह जानता है हाजिर व गायब हालात और वह मौजूदात उसकी मालूमात में से किसी चीज को भी अपने इल्म मे नही ला सकते मगर जितना इल्म वह चाहे उसकी कुर्सी ने सब आसमानो और जमीन को अपने अन्दर ले रखा है और उसे इन दोनो की हिफाजत कुछ मुश्किल नही है वह बुलन्द दर्जे वाला है ।
बेशक अल्लाह बहुत मेहरबान और करम करने वाला है ।
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