पास से गुज़रती टैक्सी को उसने रोका,
जी मैडम !!!
टैक्सी वाला एक मौलवी टाइप शख्स था, लड़की के दिल ने कहा कह दे:
" जाइए साहब !"
लेकिन ऑफिस सुनसान जगह पर होने की वज़ह से कम ही टैक्सी वाले इधर से गुज़रते और ऊपर से गर्मी ने बुरा हाल किया हुआ था और कोई रास्ता ना था,
सिविल लाइन जाना है, लड़की बोली,
ड्राइवर:
" जी बैठिए!"
कितने पैसे ??,
ड्राइवर :
" 200 दे देना "
लड़की के दिल में खयाल आया उस दिन तो 300 रुपए देकर गई थी,
शक्ल और लिबास तो ऐसा लग रहा है कि जैसे मौलवी है !! सर तो कहते हैं कि:
" मौलवी बहुत लालची होते हैं, अरे सर ये भी तो कहते हैं हवस के मारे होते हैं, भरोसे के काबिल नहीं ये मौलवी"
ये सोच कर वो डर गई लेकिन तेज़ धूप उसे ज़्यादा नहीं सोचने दे रही थी,
ड्राइवर:
" मैडम ! चलें बैठें 180 दे दीजिएगा"
लड़की बोली:
" जी सही लेकिन सामने मेरी फ़ाइल का कार्टन है भारी है उठाया नहीं जा रहा,आप......."
जी मैं रख देता हूं आप बैठिए, ड्राइवर बोला,
गाड़ी चलते ही ड्राइवर ने इजाज़त चाही:
" दरअसल मैं बयान सुन रहा था, आपको बुरा ना लगे तो चला दूं ? "
जी आप सुन लें, लड़की बोली,
ड्राइवर ने प्लयेर ऑन किया , उन्वान था " पर्दा"
ना चाहते हुए भी उसे सुनना पड़ रहा था, लिबरल और नास्तिकों की महफ़िल और दोस्ती में रह कर उसे सिर्फ इस्लाम से नफ़रत ही दिलाई गई थी, कि
" मौलवी एक खूंखार भेड़िया का रूप दिखाया गया था जिसका मकसद, माल, हवस, लालच, औरत के जिस्म के सिवा कुछ ना था, मजहब के नाम पर पैसा खाना उसका पेशा था "
बयान में मौलवी साहब ज़ोरदार आवाज़ में गरजे ,
" पर्दा अल्लाह का हुक्म है एक औरत के जिस्म का मुहाफिज है, उसके चेहरे से लेकर जिस्म के हिस्से हाथ पैर तक को ढक कर वह उसे हज़ारों की भीड़ में भी महफूज़ होने का यकीन दिलाता है, पर्दा औरत को शैतानी नज़रों से बचाता है, देखने वाले आंखे मोड़ लेते हैं कि कोई शरीफ लड़की है"
रब का क़ुरआन कहता है,
یٰۤاَیُّہَا النَّبِیُّ قُلۡ لِّاَزۡوَاجِکَ وَ بَنٰتِکَ وَ نِسَآءِ الۡمُؤۡمِنِیۡنَ یُدۡنِیۡنَ عَلَیۡہِنَّ مِنۡ جَلَابِیۡبِہِنَّ ؕ ذٰلِکَ اَدۡنٰۤی اَنۡ یُّعۡرَفۡنَ فَلَا یُؤۡذَیۡنَ ؕ وَ کَانَ اللّٰہُ غَفُوۡرًا رَّحِیۡمًا
" ऐ नबी ! अपनी बीवियों से और अपनी साहबज़ादियों से और मुसलमानों की औरतों से कह दो कि वह अपने ऊपर अपनी चादरें लटका लिया करें, इससे बहुत जल्द उनकी शिनाख्त हो जाया करेगी फिर ना सताई जाएंगी और अल्लाह तआला बख्शने वाला और महरबान है "
पर्दा औरत की इफ्फत है सलामती का ज़ामिन है उसकी पाकदामिनी की ज़ाहिरी अलामत है पर्दे मे ही उसकी इज़्ज़त है,
लेकिन बेपर्दा की मिसाल उस खुले गोस्त की सी है जिसपर हर एक मक्खी बैठ कर अपना गंध निकालती है, हर एक उसे खाने की निगाह से घूरता है,हर आंख उसे खाने लुटने की नज़र से देखती है,"
उसे ऐसा लग रहा था के जैसे सब अल्फ़ाज़ उसी पर हों उसके ऑफिस से आने जाने पर रास्ते में खड़े हर लफंगे की नज़र उस पर होती थी,
उसे ऐसा लग रहा था उसकी इस मुश्किल का वाहिद हल यही है, लेकिन पर्दा !! और वह करे जिसके नज़दीक पर्दा ज़ालिम था , दक्यानूसी थी,
इन्हीं सोचों में उसकी बताई गली में टैक्सी पहुंच चुकी थी,
टैक्सी से उतरते हुए वह कह रही थी ," सामान प्लीज़ बाहर रख दें" और कॉल की, " ममा सनी को भेजिए कुछ फ़ाइल है वज़न ज़्यादा है ऊपर लेकर जानी है,"
मां ने कहा सनी घर पर नहीं है,
ड्राइवर बोला ," मैडम ! चलें मैं छोड़ देता हूं,"उसके ज़ेहन मे पहली ही सोच आईं, मुमकिन है पैसों की लालच में ऐसा कर रहा हो, चलो कुछ मांगता है तो दे दूंगी,"
जी बेहतर ! ड्राइवर एक फ्लोर चढ़ कर उसके कहने पर एक फ्लैट के सामने रुका, बस यहां रख दें, लड़की बोली,
और साथ ही 300 रुपए निकाल कर दिए ,
ड्राइवर ," ये 300 किस लिए ?"
लड़की बोली," दरअसल कुछ पहले मैं आईं थी तो 300 ही लेते हैं और आपने सामान भी तो लाया , अगर उसके आप अलग से लेना चाहते हैं तो बताएं "
ड्राइवर बोला ,' नहीं बहन ,आप अपने ये पैसे रखिए जो बात हुई थी मैं उससे ज़्यादा नहीं ले सकता , बाक़ी रही सामान की बात तो हमारा दीन हमें दूसरों लोगों से हमदर्दी का दर्स देता है इसलिए मैं ये सामान लाया हूं,
जाते हुए लड़की के मुंह से निकल गया," क्या आप मौलवी हैं ??"
वह मुस्कुराया और कहने लगा," मुमकिन है मौलवी के बारे में आपको गलत गाइड किया गया है, मैं मौलवी,आलिम, हाफ़िज़ तो नहीं, लेकिन इनसे मुहब्बत करने वाला हूं
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